सीसीएल के बदलाव का नया सरोकार, विकास की ऊंची छलांग

कविता झा की रिपोर्ट
झारखंड के विकास का केंद्रीय शो केस है सेंट्रल कोल्ड फील्ड. श्रमिक, श्रम और विकास को सीसीएल अपनी एक इबादत मानतीं हैं. यही कारण है कि कार्य कुशलता, कुशल प्रबंधन उसकी पहचान हैं. सीसीएल का जो अभी विकास का ग्राफ है वो भरोसा दिलाती है कि मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है.
तो इस तरह सीसीएल ने कायम किया मिल का पत्थर
सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में निर्धारित वार्षिक कोयला उत्पादन लक्ष्य 84 मिलियन टन को प्राप्त करते हुए 86.1 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया है. इसी तरह, कंपनी ने डिस्पैच और ओवर बर्डन रिमूवल (ओबीआर) में भी क्रमश: 82.8 एमटी और 121.4 एमक्यूएम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई. सीसीएल ने 2023-24 वित्तीय वर्ष में सभी मापदंडों में दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की है. बिजली संयंत्रों को सीसीएल का प्रेषण में 67 मिलियन टन के वार्षिक लक्ष्य को पार करते हुए 69.1 मिलियन टन तक पहुंच गया. प्रेषण में 7% की बढ़त दर्ज की गई. कंपनी का पूंजीगत व्यय 50% की वृद्धि दर्ज करते हुए 2314 करोड़ रुपये के वार्षिक लक्ष्य को पार करते हुए लगभग 3641 करोड़ रुपये हुआ. कोयला मंत्रालय, भारत सरकार के भविष्यवादी दृष्टिकोण से प्रेरित तथा कोल इंडिया के अध्यक्ष श्री पी.एम. प्रसाद के कुशल मार्गदर्शन और डॉ. बी. वीरा रेड्डी, सीएमडी, सीसीएल के नेतृत्व और झारखंड सरकार और हितधारकों, विशेष रूप से ग्रामीणों और ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों के सक्रिय समर्थन से, कंपनी ने राष्ट्र की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कंपनी के सभी निदेशकों - श्री हर्ष नाथ मिश्र, श्री पवन मिश्रा, श्री हरीश दुहान, श्री सतीश झा और सीवीओ, सीसीएल श्री पंकज कुमार ने इस उपलब्धि के लिए सीएमडी, सीसीएल को बधाई दी. सीसीएल के सीएमडी डॉ. बी. वीरा रेड्डी सहित सभी निदेशकों ने इस लक्ष्य हासिल करने तथा अच्छा प्रदर्शन और योगदान के लिए सीसीएल परिवार के प्रत्येक सदस्य को बधाई दी.सीएमडी, सीसीएल ने कहा कि कंपनी कोयला खनन कर राष्ट्र की ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. कोयला उत्पादन की गति को बनाए रखने के लिए, सीसीएल के सीएमडी सहित सभी निदेशकगण, महाप्रबंधकों, विभागाध्यक्षों ने खनन क्षेत्रों का दौरा किया और उपस्थित कर्मियों को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया. कोयला उत्पादन में वृद्धि की प्रवृत्ति को बनाए रखने के लिए खनन क्षेत्रों में प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को उत्पादन दिवस के रूप में मनाया जाता था. ज्ञात हो कि सीसीएल का खनन क्षेत्र झारखंड के आठ जिलों यानी रांची, रामगढ़, हजारीबाग, बोकारो, गिरिडीह, चतरा, पलामू और लातेहार में फैले हुए हैं. सीसीएल पर्यावरण संरक्षण के लिए भी कई पहल कर रही है. नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पन्न करने के लिए पिपरवार क्षेत्र में 20 मेगावाट और गिरिडीह में 4 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है.
सीएमडी डॉ. बी. वीरा रेड्डी की पहल
बिजली संयंत्रों को सीसीएल का प्रेषण में 67 मिलियन टन के वार्षिक लक्ष्य को पार करते हुए 69.1 मिलियन टन तक पहुंच गया. बिजली उत्पन्न करने के लिए पिपरवार क्षेत्र में 20 मेगावाट और गिरिडीह में 4 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है. कंपनी का पूंजीगत व्यय 50% की वृद्धि दर्ज करते हुए 2314 करोड़ रुपये के वार्षिक लक्ष्य को पार करते हुए लगभग 3641 करोड़ रुपये हुआ. सीसीएल के सीएमडी डॉ. बी. वीरा रेड्डी सहित सभी निदेशकों ने इस लक्ष्य हासिल करने तथा अच्छा प्रदर्शन और योगदान के लिए सीसीएल परिवार के प्रत्येक सदस्य को बधाई दी. नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पन्न करने के लिए पिपरवार क्षेत्र में 20 मेगावाट और गिरिडीह में 4 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है.
आम्रपाली एवं चन्द्रगुप्त क्षेत्र में विकास की सुबह
सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड, महारत्न कम्पनी कोल इंडिया लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है. झारखंड स्थित इस कंपनी का मुख्यालय रांची में है. वर्तमान में यह कंपनी झारखंड राज्य के आठ जिलों में खनन गतिविधियां कर रही है. कंपनी की स्थापना 1975 में हुई थी और इसे वर्ष 2007 में श्रेणी-1 में एक ‘मिनीरत्न कंपनी’ का दर्जा प्राप्त हुआ. सीसीएल झारखंड राज्य के आठ जिलों में अपनी सामाजिक जिम्मेवारी का पालन करते हुए राज्य के विकास में अपनी भागीदारी निभा रहा है जिनमें में रांची, रामगढ़, चतरा, लातेहार, पलामू, गिरिडीह, हजारीबाग और बोकारो में सफलतापूवर्क संचालित है. सीसीएल राज्य के खजाने में सबसे अधिक योगदान देने वालों में से एक है और झारखंड राज्य में सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है. सीसीएल का देश के कोयला उत्पादन में बहुमूल्य योगदान है. वर्तमान में सीसीएल में 36 - जिनमें 3 भूमिगत एवं 33 खुली खदानें, 5 वाशरियां जिनमें 4 कोकिंग (कथारा, रजरप्पा, केदला एवं स्वांग) और 1 नॉन-कोकिंग (पिपरवार) संचालित हो रही हैं. सीसीएल के 7 कोलफील्ड्स (पूर्वी बोकारो, पश्चिमी बोकारो, उत्तरी कर्णपुरा, दक्षिणी कर्णपुरा, रामगढ़, गिरिडीह और हुंटार) हैं. खदान से बाजार तक सर्वोत्तम प्रक्रिया के माध्यम से देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ पर्यावरण एवं सामाजिक रूप से स्थाई विकास को प्राप्त करते हुए प्राथमिक ऊर्जा क्षेत्र में राष्ट्रीय अग्रणी के रूप में उभरने का संकल्प लिए सीसीएल का उद्देश्य सुरक्षा, संरक्षण और गुणवत्ता पर ध्यान देते हुए प्रभावकारी विकास का इतिहास रचना है.
सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के कई अन्य प्रमुख उद्देश्य भी हैं, जिनमें कुछ निम्नलिखित है:
- संसाधनों की उत्पादकता में सुधार करके आंतरिक संसाधनों के उत्पादन को अनुकूलित करना, बबार्दी को रोकना और निवेश की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त बाहरी संसाधन जुटाना.
- सुरक्षा के उच्च मानकों को बनाए रखना और कोयले के दुर्घटना-मुक्त खनन के लिए प्रयास करना.
- वनीकरण, पर्यावरण की सुरक्षा और प्रदूषण के नियंत्रण पर जोर देना.
- भविष्य में कोयले की मांग को पूरा करने के लिए नई परियोजनाओं की विस्तृत खोज और योजना बनाना.
- कोयला खनन के साथ-साथ कोयला लाभकारी की तकनीकी जानकारी और संगठनात्मक क्षमता विकसित करना और जहां भी आवश्यक हो, कोयले के अधिक से अधिक निष्कर्षण के लिए वैज्ञानिक अन्वेषण से संबंधित अनुप्रयुक्त अनुसंधान और विकास कार्य करना.
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