देश में स्वास्थ्य सेवा बीमार बहुत शर्मनाक

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के वर्ष 2025 तक बढ़कर 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है. हेल्थकेयर/स्वास्थ्य सेवा पिछले दो वर्षों में नवाचार और प्रौद्योगिकी पर अधिक केंद्रित हो गया है और 80 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवा सिस्टम आने वाले पाँच वर्षों में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में अपने निवेश को बढ़ाने का लक्ष्य बना रहे हैं.
भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र
- स्वास्थ्य सेवाओं में अस्पताल, चिकित्सा उपकरण, परीक्षण, आउटसोर्सिंग, टेलीमेडिसिन, चिकित्सा पर्यटन, स्वास्थ्य बीमा और चिकित्सा उपकरण शामिल हैं.
- भारत की स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली को दो प्रमुख घटकों में वगीर्कृत किया गया है - सार्वजनिक और निजी.
- सरकार (सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली) प्रमुख शहरों में सीमित माध्यमिक और तृतीयक देखभाल संस्थानों को शामिल करती है और ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों के रूप में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करती है.
- निजी क्षेत्र, महानगरों या टियर-क और टियर-शहरों में अधिकांश माध्यमिक, तृतीयक और चतुर्थक देखभाल संस्थान केंद्रित है.
- 2020 में भारतीय चिकित्सा पर्यटन बाजार का मूल्य 2.89 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और इसके 2026 तक 13.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है
- भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में तीन गुना वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है, जो वर्ष 2016-22 के बीच 22% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर वर्ष 2016 में 372 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गई, जो वर्ष 2016 में 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी.
- वर्ष 2022 के आर्थिक सर्वेक्षण में, स्वास्थ्य सेवा पर भारत का सार्वजनिक व्यय वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद का 2.1% था, जो वर्ष 2020-21 में 1.8% और 2019-20 में 1.3% है.
- वित्तीय वर्ष 2021 में, स्वास्थ्य बीमा कंपनियों द्वारा अंडरराइट की गई सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम आय 13.3% से बढ़कर 58,572.46 करोड़ रुपए (यूएसडी 7.9 बिलियन) हो गई.
- टेलीमेडिसिन के भी वर्ष 2025 तक 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है.
भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र की क्षमता
भारत का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ अच्छी तरह से प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवरों के अपने बड़े पूल में निहित है. भारत एशिया और पश्चिमी देशों में अपने साथियों की तुलना में लागत प्रतिस्पर्धी भी है. भारत में सर्जरी की लागत अमेरिका या पश्चिमी यूरोप की तुलना में लगभग दसवाँ हिस्सा है.
इस क्षेत्र में तेजी से वृद्धि के लिये भारत के पास सभी आवश्यक सामग्री है, जिसमें एक बड़ी आबादी, एक मजबूत फार्मा और चिकित्सा आपूर्ति शृंखला, 750 मिलियन से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्त्ता तक आसान पहुँच के साथ विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप पूल और वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने के लिये नवीन तकनीकी उद्यमी शामिल हैं.
स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र से संबंधित पहल
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
- आयुष्मान भारत
- आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना।
- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग
- प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम
- जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम
- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम
स्वास्थ्य क्षेत्र के साथ चुनौतियां
- चिकित्सा पेशेवरों की कमी, गुणवत्ता आश्वासन की कमी, अपर्याप्त स्वास्थ्य खर्च और सबसे महत्त्वपूर्ण अपर्याप्त शोध निधि जैसी बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक अपर्याप्त पहुँच.
- स्वास्थ्य सेवा पर भारत का सार्वजनिक व्यय वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद का केवल 2.1% है जबकि जापान, कनाडा और फ्राँस अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10% सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा पर खर्च करते हैं.
- यहाँ तक कि बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की जीडीपी का 3% से अधिक हिस्सा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का है.
- निवारक देखभाल की कमी: भारत में निवारक देखभाल को कम करके आँका गया है, इस तथ्य के बावजूद कि यह दुख और वित्तीय नुकसान के मामले में रोगियों के लिये विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों को कम करने में काफी फायदेमंद साबित हुआ है.
- 2021 तक भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र भारत के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है क्योंकि इसमें कुल 4.7 मिलियन लोग कार्यरत हैं
चिकित्सा अनुसंधान की कमी
- भारत में अनुसंधान एवं विकास और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाली नई परियोजनाओं पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है.
- नीति निमार्ण: प्रभावी और कुशल स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में नीति निर्धारण निस्संदेह महत्त्वपूर्ण है। भारत में मुद्दा मांग के बजाय आपूर्ति का है और नीति निर्धारण मदद कर सकता है.
- पेशेवरों की कमी: भारत में, डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी है.
- एक मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत किये गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 600,000 डॉक्टरों की कमी है.
- संसाधनों की कमी: डॉक्टर चरम परिस्थितियों में काम करते हैं जिसमें भीड़भाड़ वाले बाहरी रोगी विभाग, अपर्याप्त स्टाफ, दवाएँ और बुनियादी ढाँचे शामिल हैं.
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