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रूरल इंडिया

चंबल घाटी में अब डाकू नहीं सिर्फ बसते हैं भू-माफिया...


  • 07/07/2024
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मुकेश शर्मा, ग्वालियर
मध्यप्रदेश का भिण्ड जिला भू-माफिया के लिये सरकारी जमीन का चारागाह बन गया है,चरनोई की जमीन पर  खड़ी दबंगों की फसल, सरकार और प्रशासन का मुंह चिढ़ा रही है, और आवारा पशु  किसानों की फसल चौपट कर रहे हैं. हालांकि यह समस्या तो पुरानी है परंतु अब इसने विकराल रूप धारण कर लिया है. इस मामले की शिकायत भ्रष्टाचार उन्मूलन संगठन द्वारा करीब 3 साल पहले कलैक्टर से लेकर मुख्य सचिव,प्रदेश के तत्कालीन राजस्व एवं परिवहन मंत्री तथा जिले के प्रभारी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से लेकर केंद्रीय सतर्कता आयोग से भी की परंतु तत्कालीन कलैक्टर सहित स्थानीय प्रशासन और जनपतिनिधि किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा. सालों से आवारा पशुओं की समस्या होने के बाद भी भू माफिया से जमीन मुक्त कराने की  राजस्व विभाग ने कोई  पहल नहीं की. जिले में चरनोई की 70 फीसदी से अधिक भूमि पर माफिया का कब्जा है. सरकारी भूमि होने के बाद भी राजस्व विभाग अपना कब्जा नहीं ले पा रहा है. आज तक प्रशासन की ओर से चरनोई की जमीन को मुक्त कराने की पहल नहीं की गई. अगर भिण्ड जिले की सरकार जमीन माफिया के कब्जे से मुक्त हो जाए तो आवारा पशुओं की समस्या का स्थाई रूप से समाधान हो सकता है. राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के  अनुसार भिण्ड जिले में चरनोई की  जमीन का  रकवा 22473 हैक्टेयर है. इसमें से उपजाऊ समझी जाने वाली करीब 15500 हैक्टेयर जमीन पर दबंग और रसूखदारों का कब्जा है. 7000 हैक्टेयर जमीन बीहड़ी और ऊबड़-खाबड़ होने के कारण दबंगोंं की नजर से बची हुई है. भिण्ड तहसील में सबसे अधिक 5180 हैक्टेयर चरनोई का  रकवा है. जबकि सबसे कम मौ तहसील में 253 हैक्टेयर. जिले में चरनोई की जमीन का इतना बड़ा रकवा होने के बाद भी हजारों की संख्या में आवारा पशु चारे के आभाव में किसानों की फसल चट कर रहे हैं.किसानों को आवारा पशुओ से अपनी फसल को बचाने के लिए रतजगा करना पड़ रहा है.
     गाहे -बगाहे किसानों की नाराजगी भी सामने आ रही है.  यदि इस जमीन को  मुक्त कराकर  चारागाह विकसित कर दिए जाएं तो आवारा पशुओं की समस्या का समाधान हो सकता है. इस जमीन शासकीय स्तर पर एक साल के लिए नीलाम भी कर दिया जाए तो भी करोड़ों रूपए शासन के खजाने में जमा हो सकते हैं . इस राशि का उपयोग आवारा गायों पर खर्च किया जा सकता है. करोड़ो की लागत से बनाई गई गौशालाओं में भी चहल पहल लौट सकती है.  तीन साल पहले भी चरनोई  की जमीन पर शासन और समाजसेवियों की  मदद से गौशालाएं विकसित करने की  योजना आईथी. लेकिन जिला स्तर पर अधिकरियों ने इस पर रूचि ही नहीं दिखाई. बजह यह सामने  आ रही है कि  राजनैतिक संरक्षण प्राप्त दबंगों पर हाथ डालने की अधिकारी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे. जानकारी के अनुसार कुछ रसूखदारों ने अधिकारियों से सांठगांठ कर सडक के किनारे की जमीन लेकर बीहड़ की जमीन सरकार को दे दी हे. 

एक आवारा पशु के हिस्सें में सवा हैक्टेयर का रकवा
जिले में आवारा पशुओं की संख्या करीब 20 हजार के आसपास है. जबकि  चरनोई की  जमीन 22473 हैक्टेयर. इस हिसाब से देखा जाए तो एक पशु के  लिए चारागाह के रूप में सवा हैैक्टेयर जमीन उपलब्ध  है. जमीन पर अतिक्रमण होने से गायों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. जमीन पर कौन-कौन काबिज है ये संबंधित हल्का पटवारियों की जानकारी में हैं. अधिकारी चाहे तो एक माह में यह जमीन मुक्त हो सकती है और जिले की बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है. सर्द मौसम में खेतों की रखवाली करने से भी निजात मिल सकती है.

दबंग दखलधारियों ने बेच दी लाखों की मिट्टी
अकोड़ा नगर परिषद क्षेत्रमें 900 बीघा से अधिक चरनोई की  जमीन है. उपजाऊ जमीन पर फसल लेकर दबंग हर साल लाखों की कमाई कर  रहे हैं ऐसा ही मामला तहसील के सिनोर गांव का है जहां पर 300 बीघा के लगभग सरकारी भूमि पर भू माफिया का कब्जा है शिकायत पर जांच तो हुई  पर दो वर्ष कार्यवाही वही ढाक के तीन पात! इस वर्ष जरूर तेज तर्रार तहसीलदार श्रीमति लाला शर्मा ने सिनोर के भू माफिया को नेस्तनाबूद कर दिया, सरकारी जमीन पर खड़ी फसल काट कर भू माफिया की कमर तोड़ दी. इसके अलावा अनुपजाऊ भूमि भी दबंगों के  लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है. कई दर्जन से अधिक अवैध कब्जाधारियों ने गौचर भूमि से मिट्टी बेचना शुरू कर दिया है. स्थानीय लोगों की माने तो अतिक्रमणकारी अभी तक लाखों की मिट्टी सडक ठेकेदारों को बेच चुके हैं.आश्चर्य तो तब होता है कि जिला वैसे तो कार्यवाही करते है पर इस मामले पर चर्चा करने से कतराते हैं , मुद्दा कितना ही बड़ा क्यों न हो खासकर गौचर के मुद्दे पर तो बात ही नहीं करना चाहते.

तहसील वाइज चरनोई की जमीन

  • तहसील    रकवा हैक्टेयर में 
  • भिण्ड       5180 हैक्टेयर 
  • गोहद       4655 हैक्टेयर 
  • लहार       2812 हैक्टेयर 
  • अटेर       3049 हैक्टेयर 
  • गोरमी     1226 हैक्टेयर 
  • मौ          253 हैक्टेयर 
  • मिहोना    1105 हैक्टेयर 
  • रौन         1373 हैक्टेयर